खून के धब्‍बे धुलेंगे, कितनी बरसातों के बाद


खून के धब्‍बे धुलेंगे, कितनी बरसातों के बाद,

बरस बीते,

बौछारें आई पर

खून के धब्‍बे धुले

नहीं।

कभी बंटवारे की टीस से पैदा हुई फैज अहमद फैज की यह मशहूर नज् आज 63 गुजर जाने के बाद भी हजारों परिवार का दर्द बयां करती है। आजादी के साथ मिली इस टीस के भी 63 साल पूरे हो गये लेकिन दोनों मुल्कों के तल् रिश्तों के चलते वीजा मिलना आज भी मुहाल है लिहाजा इंसानी जिंदगी के लिए जिन रिश्तों को खाद पानी समझा जाता है वह इन दोनों देशों के हजारों लोगों के सिर्फ जेहन में ही जिन्दा बचे हैं। मुल्कों की अदावत की कीमत चुका रहे इन लोगों के लिए अपने सगे का मरना सिर्फ एक खबर भर है और कभी जश् का मौका आता है तो अकसर ही सरहद दीवार बनकर आड़े जाती है।

इलाहाबाद में हजारों परिवार इस विडम्‍बना के साथ पिछले कई दशकों से अपना गुजर कर रहे हैं। इनके सगे नातेदार और दूसरी रिश्‍तेदारियां पकिस्‍तान में हैं लेकिन मुल्‍कों के बीच चलने वाली अदावत की कीमत इन्‍हें अपने इन रिश्‍तों को ताक पर चढ़ाकर अदा करनी पड़ रही है। आज स्‍टोरी करने के लिए कुछ लोगों से मिला तो ऐसी तमाम कहानियां सामने आयीं कि खुद पर ही शर्मिदंगी सी आने लगी- यह किसका अपराधबोध हावी हो रहा था मुझे पर !!!

नखासकोहना के रहने वाले उमर 80 बरस पूरे कर चुके हैं। जवानी में ही भाई पकिस्‍तान जाकर बस गया था। और उसके बाद से अभी तक सिर्फ तीन बार की मुलाकात है। अब आखिरी समय की मुलाकात के भी इतना समय बीत गया कि अपने सगे भाई की सूरत भी उन्‍हें ठीक से याद नहीं। भाई उनके लिए सिर्फ एक धुंधली पड़ चुकी पारि‍वारिक फोटो में जिन्‍दा है। इस तस्‍वीर में सभी के बाल काले हैं, चेहरे भरे हुये नहीं हैं लेकिन सभी की ठुठि़यां नुकीली हैं। आज समय के साथ उमर के सारे बाल सफेद हो चुके हैं। चेहरा पहले भरा और अब फिर खाली हो चुका है। उनकी आंखों में अपने भाई के लिए खालीपन आज भी नजर आता है लेकिन क्‍या करें, बेबस हैं। हुकुमत के आगे उनकी नहीं चल सकती। हुकुमत शायद उनके आने जाने में ही आंतकवादी तलाश ले। उमर बताते हैं, भाई से आखिरी मुलाकात सन 80 की है और उसके बाद से वीजा के लिए होने वाली पूछतांछ से आजिज आ कर इसकी कोशिश ही करनी छोड दी। उमर साथ ही यह भी जोड़ते हैं कि पकिस्‍तान से भी यहां आने में ऐसी ही मुश्किलें उठानी होती है।

इसी से बहुत हद तक मिलती जुलती कहानी मेहरूनिसा की है। उनका मायका मुल्‍कों के तल्‍ख रिश्‍तों की भेंट चढ चुका है। मेहरूनिंसा फ़लैशबैक में जाती हैं तो बेहद मायूस हो जाती हैं। वे बताती हैं कि शादी के बाद सिर्फ दो बार ही मायके वालों से मिलना हो सका। इस बीच दोनों परिवारों में जश्‍न भी हुये और गम भी आये लेकिन फिर वह लौट कर अपने परिवार के बीच नहीं जा सकीं। बच्‍चे ननिहाल के लिए जिंदगी भर तरासते रह गये तो अब्‍बू नवासों के लिए।

महफूज भी हमें ऐसा ही किस्‍सा सुनाते हैं। महफूज पेशे से शिक्षक हैं इसलिए हमें और जरा पीछे ले जाकर तफसील से बताते हैं कि म‍ुश्किल पहले भी थी लेकिन हालत वर्ष 92 के बाद से जो बिगड़ने शुरू हुये तो 2000 आते आते तो स्थिति यह हो गयी कि पकिस्‍तान फोन करने में भी जी घबरता है।

इसके बाद महफूज भाई ठहर गये। शायद मन ही मन आज के समय को देखते हुये यह सब बातें एक अखबार वाले से कहने के बारे में सोचने लगे लेकिन कुछ देर के बाद महफूज और भी खुल गये। फिर बातें औपचारिक से औनपचारिक शुरू हो गयीं। इसी औनपचारिक बात में महफूज ने अपने मन की गांठें खोलनी शुरू की। उन्‍होंने कहाकि वीजा का मिलना न मिलना अब एक अलग मामला हो गया है लेकिन इस समय के माहौल को देखकर अब खुद ही लोग डर कर नहीं बताते कि उनकी रिश्‍तेदारियां पकिस्‍तान में है। उनके भीतर यह डर पूरी तरह से हावी दिखाई दिया कि पुलिस को जब कही कुछ नहीं मिलेगा तो इसी रिश्‍तेदारियों के आधार पर वह हम लोगों को उठा लेगी इसलिए अब तमाम लोग वीजा के लिए फार्म तक नहीं भरते। इन लोगों ने अपनी रिश्‍तेदारियों को अपने सीने मे ही इस उम्‍मीद के साथ दफन कर लिया कि शायद कभी ऐसी बरसात आये जिसकी बौछारों से खून के यह धब्‍बे हमेशा के लिए साफ हो जायेंगे।

6 Response to "खून के धब्‍बे धुलेंगे, कितनी बरसातों के बाद"

  1. झकझोर देने वाली रचना ,टाईटल अच्छा है
    अच्छी प्रस्तुती के लिये आपका आभार


    खुशखबरी

    हिन्दी ब्लाँग जगत के लिये ब्लाँग संकलक चिट्ठाप्रहरी को शुरु कर दिया गया है । आप अपने ब्लाँग को चिट्ठाप्रहरी मे जोङकर एक सच्चे प्रहरी बनेँ , कृपया यहाँ एक चटका लगाकर देखेँ>>

    Unknown says:

    NICE POST !!
    PLZ READ AND DO COMMENT AT
    विभाजन की ६३ वीं बरसी पर आर्तनाद :
    कलश से यूँ गुज़रकर जब अज़ान हैं पुकारती
    शमशाद इलाही अंसारी शम्स की कविता
    तुम कब समझोगे कब जानोगे
    http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_12.html

    अच्छी प्रस्तुती !

    Anonymous says:

    bahut hi achi rachna..
    shukriya share karne ke liye..

    Meri Nayi Kavita aapke Comments ka intzar Kar Rahi hai.....

    A Silent Silence : Ye Kya Takdir Hai...

    Banned Area News : Andhra Pradesh News

    बढ़िया लेख| स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

    अच्छा आलेख

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

    हैपी ब्लॉगिंग

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