tag:blogger.com,1999:blog-1001180085455292206.post8268640134802913140..comments2023-06-10T04:29:46.022-07:00Comments on इलाहाबादी अड्डा: गुलामी की मशालइलाहाबादी अडडाhttp://www.blogger.com/profile/08857919109866370465noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1001180085455292206.post-18339083232732545432010-07-27T12:18:59.970-07:002010-07-27T12:18:59.970-07:00सर, क्या खूब है!
क्या किया जाए गुलामी की आदत जो पड...सर, क्या खूब है!<br />क्या किया जाए गुलामी की आदत जो पड़ गई है। लतियाने वाले को ही इज्जत बख्शते हैं। फेंकी गई रोटी को माथे से लगाते हैं।shoonyahttps://www.blogger.com/profile/00649707370668295111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1001180085455292206.post-63526537884137677972010-07-12T07:50:36.537-07:002010-07-12T07:50:36.537-07:00This comment has been removed by a blog administrator.Smupnewshttps://www.blogger.com/profile/06010703853401890914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1001180085455292206.post-82727176196908417092010-07-12T07:21:05.149-07:002010-07-12T07:21:05.149-07:00क्या खूब लिखा भाई सा'ब आपने. पढ़कर मजा आ गया.क्या खूब लिखा भाई सा'ब आपने. पढ़कर मजा आ गया.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1001180085455292206.post-37101066351213502502010-07-12T00:29:01.197-07:002010-07-12T00:29:01.197-07:00हिमांशु भाई दाद देनी पड़ेगी आपकी लेखनी को इस पोस्ट ...हिमांशु भाई दाद देनी पड़ेगी आपकी लेखनी को इस पोस्ट को फेस बुक पर ज़रूर लिंक कराएँ..गुफरान सिद्दीकीhttps://www.blogger.com/profile/00680052955710032455noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1001180085455292206.post-43155104307124007712010-07-11T21:16:32.280-07:002010-07-11T21:16:32.280-07:00आपकी बात से सहमत हूँ...सरकार के पास इन फालतू कामों...आपकी बात से सहमत हूँ...सरकार के पास इन फालतू कामों के लिए पैसे की कोई कमी नही...pooja goswamihttps://www.blogger.com/profile/00265969850182581149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1001180085455292206.post-40447886225930444412010-07-11T18:15:51.748-07:002010-07-11T18:15:51.748-07:00क्वींस बेटन के लिये कल ही एक मित्र मुझ पर दबाव डा...क्वींस बेटन के लिये कल ही एक मित्र मुझ पर दबाव डाल रहे थे कि चलो देख आया जाये, मैने भी कहा कि मेरे पास फालतू कामो के लिये समय नही है।<br /><br /><br />आपकी इस बात से मे पूर्ण रूप से सहमत हूँ कि आज सुभाष चौराहा सिर्फ तमाशाइयों का अड्डा मात्र रह गया है, सभी का मकसद सिर्फ राजनीति और मीडिया मे छाये रहने की धुन मात्र ही रहती है।<br /><br />पत्रकार बदल गये और पत्रकारिता के मायने, बस नही बदले तो हम....Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.com